तेलंगाना में श्रीशैलम लेफ्ट बैंक कैनाल (SLBC) हादसे में फंसे 8 मजदूरों को बचाने के लिए चल रहे ऑपरेशन का आज (26 फरवरी) पांचवां दिन है. अब तक मजदूरों से किसी भी तरह का संपर्क नहीं हो पाया है. हालांकि ग्राउंड जीरों से खबर यह है कि NDRF की टीम इन मजदूरों के काफी करीब पहुंच चुकी है. NDRF उस आखिरी पॉइंट तक पहुंच गई है, जहां टनल की छत का हिस्सा ढहा था.
नागरकुर्नूल जिले में 22 फरवरी को यह टनल हादसा हुआ था. पिछले चार दिनों से यहां रेस्क्यू ऑपरेशन अभी जारी है. NDRF और SDRF के साथ ही इंडियन आर्मी भी लगी हुई है. भू-वैज्ञानिकों से लेकर तमाम एडवांस तकनीकों के जरिए फंसे हुए मजदूरों तक पहुंचने की कोशिश की जा रही है. उत्तराखंड के सिलक्यारा टनल में फंसे लोगों को सुरक्षित बाहर निकालने वाली रेट माइनर्स भी सोमवार से रेस्क्यू ऑपरेशन में भिड़ चुके हैं.
क्या आ रही है समस्या?
टनल में लगातार पानी का रिसाव और ढहता मलबा सबसे बड़ी परेशानी है. पानी और मलबे को लगातार बाहर निकाला जा रहा है. हर मिनट टनल में 3200 लीटर पानी भरा रहा है, जिससे कीचड़ भी बढ़ता जा रहा है. यही सबसे बड़ी समस्या है. विशेषज्ञों का मानना है कि टनल भी अस्थिर है और ज्यादा खुदाई से बचाव कर्मियों की सुरक्षा भी दांव पर लग सकती है. समस्या यह भी है कि टनल में आने और जाने का एक ही रास्ता है. ऊपर से टनल में प्रवेश करने के लिए वर्टिकल ड्रिलिंग के प्रस्ताव को अधिकारियों ने खारिज कर दिया है.
तेलंगाना मंत्री ने बताया आगे क्या होगा?
तेलंगाना के मंत्री उत्तम कुमार रेड्डी ने विशेषज्ञों का हवाला देते हुए इस घटना को सबसे कठिन सुरंग बचाव अभियान बताया है. उन्होंने यह भी कहा कि सुरंग में पानी और ढहते मलबे के भारी प्रवाह के कारण बचावकर्मियों की जान भी जोखिम में पड़ सकती है. पीटीआई के साथ बातचीत में उन्होंने कहा, ‘एक बड़ी समस्या यह है कि सुरंग में बहुत तेज गति से पानी का प्रवाह जारी है, ढहता मलबा भी है. कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि बचाव में जाने वाले लोगों की जान भी खतरे में पड़ सकती है. इसलिए हम सर्वश्रेष्ठ विशेषज्ञ की राय लेकर ही फैसले ले रहे हैं.’