वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपना पहला वर्ष 2019 में मोदी सरकार के चुनाव में जीत के आने के बाद पेश किया था. तब उन्हें पहली बार वित्त मंत्री बनाया गया. इसके बाद के सालों में वित्त मंत्री के तौर पर बजट पेश करने के दौरान उनकी साड़ी का रंग बदलता रहा. पीले से लेकर नारंगी तक. हालांकि इस बार उनका साड़ी का रंग बिल्कुल ही बदल गया. ये इस बार नीले रंग में है.
जब वित्त मंत्री के तौर पर उन्होंने पहला बजट पेश किया था, तब वो बैंगनी रंग की सुनहरे बॉर्डर वाली साड़ी में थीं. कहा जा सकता है कि उन्हें आमतौर पर सुनहरी जरी वाले बॉर्डर पसंद हैं.
वर्ष 2020 में जब निर्मला सीतारमण ने दूसरा बजट पेश किया था, तब वो पीले रंग या बासंती रंग की साड़ी में थीं. भारतीय परंपरा और शास्त्रों में पीले रंग को शुभ माना जाता है. इसके अलावा रंगों की खासियत देखें तो पीला रंग समृद्धि और खुशहाली का प्रतीक है. ऐसे में ये माना गया कि पीले रंग की साड़ी में देश का लाल बही-खाता सबके लिए खुशहाली ला सकता है.
पिछले बजट में भी वो पूरी तरह उस पारंपरिक वेशभूषा में थीं, जिसमें भारतीय महिला की गरिमा अलग ही लगती है. निर्मला तब सुनहरे लाल रंग के बॉर्डर वाली साड़ी में थीं. लाल रंग भारतीय परंपरा में शक्ति, ऊर्जा और प्यार का रंग माना जाता है. ये अधिकार का रंग भी है और तुरंत आकर्षित करने वाला भी. वैसे इस रंग को हमेशा से ताकत और आत्मविश्वास से भी जोड़ा जाता रहा है. इस बार जहां निर्मला ने लाल रंग की साड़ी पहनी वहीं उनके लाल रंग के बहीखाते की जगह टैबलेट ने ले ली.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने जब चौथा बजट पेश किया तो उनकी साड़ी पारंपरिक दक्षिण भारतीय शैली की मैरून और नारंगी रंग की थी. जिसमें मैरून कलर का बॉर्डर था और बीच का हिस्सा नारंगी. ये साड़ी उनके आत्मविश्वास और व्यक्तित्व दोनों को अलग रंग दे रही थी. नारंगी रंग लाल और पीले रंग का मिश्रण है. लाल रंग से हममें दृढ़ संकल्प आता है. पीले से सात्विक प्रवृत्ति का विकास होता है. केसरिया यानी भगवा रंग जहां बीजेपी का रंग माना जाता है तो इसे हिंदूत्व से जुड़ा पवित्र रंग माना जाता है.
पिछले साल वर्ष 2023 में निर्मला सीतारमण बजट पेश करते समय विशुद्ध नारंगी रंग की साड़ी में थीं, जिसमें खास डिजाइन बना हुआ था, ये साड़ी सुनहरे और काले रंग के बॉर्डर में थी. भारतीय संस्कृति में नारंगी रंग का विशेष महत्व है. यह रंग ओज, उत्साह, प्रखरता का प्रतीक है. यह जीवन में उमंग, न्याय, निष्ठा और प्रगति का स्रोत है. हिंदू धर्म में, नारंगी को पवित्र माना जाता है और यह पवित्रता और आध्यात्मिकता को दर्शाता है.
भारतीय धर्म शास्त्रों में नीला रंग बल, पौरुष, और वीरता का प्रतीक माना जाता है.ये आध्यात्मिक रंग भी माना जाता है.इसे सकारात्मकता और आत्मविश्वास के साथ अधिकार का प्रतीक भी माना जाता है. वैसे दुनियाभर में सबसे ज्यादा लोगों का पसंदीदा रंग नीला ही है.
निर्मला सीतारमण जो साड़ियां पहनती हैं वो आमतौर पर हाथ से बनाई गईं इलीकल नावलगुंडा एब्रायडरी वाली होती हैं. वैसे पिछले साल उन्होंने जो साड़ी पहनकर बजट पेश किया वो उन्हें कर्नाटक के धारवाड़ कर्नाटक का प्रतिनिधित्व करने वाले केंद्रीय मंत्री प्रहलाद जोशी ने उपहार में दी थी. इस बार उन्होंने ब्लू क्रीम कल जो साड़ी पहनी है वो टसर साड़ी है, इस पर कांठा का काम है. आमतौर पर वह कर्नाटक सिल्क की साड़ियां ही पहनती हैं.
हरदम साड़ी में ही नजर आती हैं. साड़ियों के रंग आमतौर पर सुर्ख होने के बावजूद चटकीले नहीं होते. आंखों को भाने वाले कोमल रंग जैसे पीला, नीला, गुलाबी, हरे जैसे रंगों में वो हैंडलूम की साड़ियां ही पहनती हैं. कई मौकों पर उन्हें छोटी-छोटी बूटियों वाली सूती साड़ी में देखा जा चुका है.
सूती साड़ियों के साथ वो कलमकारी ब्लाउज को तरजीह देती हैं. ध्यान दें तो पाएंगे कि वित्तमंत्री ज्यादा आभूषण-प्रेमी नहीं हैं. वो एक सोने का कड़ा, चेन और कानों में हल्के बुंदे पहने ही नजर आएंगी.
आंध्रप्रदेश की पोचमपल्ली साड़ी भी उन्हें खासतौर पर पसंद है. इसे इकात साड़ी भी कहते हैं, जिसमें हल्का-फुल्का बांधनी का काम दिखता है. इकात की खासियत ये है कि इसमें साड़ी पर जो काम होता है, वो ब्लर यानी हल्का पड़ा हुआ दिखता है.
कई अवसरों पर निर्मला को ब्लॉक प्रिंट की सफेद या हल्के रंग की साड़ियों में देखा गया है. सिल्क की इन साड़ियों में ओडिशा और आंध्रप्रदेश का प्रभाव दिखता है, जिसमें किनारे पर गोल्डन जरी होती है. थोड़ा और खंगाला जाए तो जामदानी साड़ी भी इनके वार्डरोब में नजर आएगी. बंगाल की खासियत जामदानी असल में महीन मलमल की बनी होती है. विभाजन से पहले ये बांग्लादेश के नारायणगंज जैसे इलाकों में बनाई जाती थी.