जब ब्रह्मा और विष्णु का युद्ध हुआ. भगवान शंकर इस युद्ध को रोकने के लिए विशाल अग्नि स्तंभ के रूप में प्रकट हो गए थे. जिसका आदि और अंत न ब्रह्मा ने पाया, न भगवान नारायण ने. इसी प्रसंग में झूठ बोलने पर भगवान शंकर ने भैरवनाथ को प्रकट किया जिन्होंने झूठ बोलने वाले ब्रह्मा जी का पांचवा सर धड़ से अलग कर दिया. शिव पुराण प्रवक्ता आचार्य मृदुल कांत शास्त्री ने लोकल 18 को इस बारे में बताया.
ब्रह्मा-विष्णु के युद्ध और महादेव से जुड़ी कहानी
आचार्य मृदुल कांत शास्त्री ने बताया कि भगवान शंकर ने अपने अग्नि स्तंभ के आकार को छोटा करके शिवलिंग के रूप में परिणत कर दिया. यह तिथि जिस दिन शिवलिंग प्रकट हुआ, यह शिवरात्रि के नाम से जगत में विख्यात हुई स्वयं भगवान शंकर ने कहा कि मेरी समस्त तिथियों में यह शिवरात्रि सबसे पवित्र और मुझे सबसे अधिक प्रिय है.
उन्होंने बताया कि भगवान शंकर के प्राकट्य की तिथि को किस प्रकार से विवाह की तिथि के रूप में प्रचारित प्रसारित किया गया. भगवान शंकर उस युद्ध को रोकने के लिए विशाल अग्नि स्तंभ के रूप में प्रकट हो गए थे. जिसका आदि और अंत न ब्रह्मा ने पाया ना भगवान नारायण ने इसी प्रसंग में झूठ बोलने पर भगवान शंकर ने भैरवनाथ को प्रकट किया. जिन्होंने झूठ बोलने वाले ब्रह्मा जी का पांचवा सर धड़ से अलग कर दिया. तब भगवान शंकर ने अपने अग्निस्तंभ के आकार को छोटा करके शिवलिंग के रूप में परिणत कर दिया.
लोगों ने की अपील
आश्चर्य ने बताया कि भगवान शंकर के प्राकट्य की तिथि को किस प्रकार से विवाह की तिथि के रूप में प्रचारित प्रसारित किया गया. इसे रोकने का कभी किसी ने कोई प्रयास भी नहीं किया. आचार्य विष्णु कांत शास्त्री जी ने सभी सनातनियों से विनम्र निवेदन किया है कि आगामी महाशिवरात्रि को शिव विवाह न करें. अपितु भगवान शंकर की चार प्रहर में पूजा करके शिवलिंग के प्राकट्य का उत्सव मनाएं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करें.