आईपीएस अधिकारी मनोज कुमार शर्मा और उनकी आईआरएस पत्नी श्रद्धा जोशी फिल्म ’12th Fail’ को लेकर सुर्खियों में हैं। फिल्म के रिलीज होने के बाद से लोग मनोज शर्मा की संघर्ष की कहानी से प्रेरित हो रहे हैं। मनोज शर्मा की सफलता में उनके दोस्तों की बड़ी भूमिका रही है।
फिल्म में मनोज शर्मा के मददगार रहे कई दोस्तों और शुभचिंतकों में बारे में नहीं दिखाया गया है। लेकिन मनोज के जीवन पर आधारित किताब ‘Twelfth Fail, हारा वही, जो लड़ा नहीं’ में कई ऐसे लोगों का जिक्र है, जो अब सुर्खियों में आ गए हैं। ऐसी ही एक महिला हैं ‘सुमन दीदी’ जिन्होंने मनोज र्शमा को दिल्ली आने के लिए 10 हजार रुपये दिए थे
Twelfth Fail’ किताब को अनुराग पाठक ने लिखा है। मनोज शर्मा और अनुराग पाठक दोनों बहुत पुराने दोस्त हैं और यूपीएससी की तैयारियों के समय से एक-दूसरे के साथ हैं। मनोज शर्मा और अनुराग पाठक दोनों की जिंदगी में ‘सुमन दीदी’ एक आदर्श महिला रही हैं। जिनसे उन्हें हमेशा प्रेरणा मिली है।
अनुराग पाठक ने किताब ‘Twelfth Fail’में लिखा है कि मनोज शर्मा को पहली बार दिल्ली आकर यूपीएससी की तैयारी करने के लिए सुमन दीदी ने ही 10 हजार रुपये दिए थे। ऐसे में लोग ये जानना चाहते हैं कि आखिर ये सुमन दीदी कौन हैं और कहां हैं और क्या करती हैं?
कौन हैं सुमन दीदी? IPS मनोज शर्मा ने खुद बताया?
आज तक के एक कार्यक्रम में मनोज शर्मा ने सुमन दीदी के बारे में बताया है। मनोज शर्मा से एक शख्स पूछता है, ‘सर मैं उस महिला के बारे में जानना चाहता हूं, जिन्होंने आपको दिल्ली आने के लिए 10 हजार रुपये दिए थे, जिनका जिक्र ’12वीं फेल’ नोवेल में तो है, लेकिन फिल्म में नहीं’ इस पर जवाब देते हुए मनोज शर्मा कहते हैं, ”इस सवाल के लिए धन्यवाद। मैं अभी हाल के दिए कुछ इंटरव्यू में सुमन दीदी के बारे में बात करना तो भूल ही गया था। सुमन दीदी, मेरी ग्वालियर की हैं, मुरैना की रहने वाली हैं। आजकल वो एडिशनल एसपी हैं, उस वक्त वो डीएसपी हुई थीं। वो हम लोगों के बहुत बड़ी आदर्श थीं…क्योंकि वो एक ऐसी लड़की थीं, जो समाज की पुरानी सोच को तोड़कर आगे बढ़ी थीं, वो मेरी बहुत करीबी थीं और मेरे पास जब पैसा नहीं था, तब उन्होंने कहा था कि तुम चिंता मत करो और दिल्ली जाओ…जरूरत पड़े तो मैं तुम्हे पैसे दूंगी…लेकिन तुम एक-दो महीने के लिए ही सही लेकिन जाओ।’
मनोज शर्मा आगे कहते है, ”उन्होंने (सुमन दीदी) मुझे 10 हजार रुपये दिए थे और मैं 10 हजार रुपये लेकर दिल्ली आया था। 10 हजार रुपये के खत्म होने तक मैं दिल्ली रहा। लेकिन जब वो पैसे खत्म हो गए थे, मैं वापस चला गया। फिर मैं हालांकि दोबारा आया था। अनुराग पाठक, जिन्होंने ये किताब लिखी है, मेरे और उसके लिए, दोनों के लिए वो दीदी की तरह हैं, हमें वो राखी बांधती हैं, अभी भी हमारे संबंध बहुत रियल हैं, अगर आप फेसबुक पर जाएंगे, तो देखेंगे, वो अभी भी इस फिल्म को लेकर काफी कुछ लिख रही हैं।”