घर में ही करें मोती की खेती, करें लाखों रुपये की कमाई

गहरे समुंद्र में जाकर मोती निकालने की बात तो सभी जानते हैं, पर अगर ये कहा जाए कि मोती खेतों में उगाए जा सकते हैं, तो ये जानकर आपको थोड़ा ताज्जुब जरूर होगा. ये कमाल कर दिखाया है छत्तीसगढ़ के रहने वाले शुभम् राव ने. घर बैठे-बैठे भी आप मोती उगा सकते हैं और लाखों रुपये की कमाई कर सकते हैं.

इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय का छात्र शुभम् राव अपने घर की छत और हॉस्टल में ऊतक जीवों से मोती तैयार कर रहे हैं. शुभम् एंटोमोलॉजी के छात्र हैं. जीव-जंतुओं से तो उनका रोजाना सामना होता है. ऐसे में शुभम ने सोचा क्यों न बस्तर की इंद्रावती नदी के किनारे पाए जाने वाले ऊतकों से मोती की खेती की जाए.

सीप से तैयार करें मोती

शुभम् ने इंद्रवती नदी के किनारे रहने वाले आदिवासियों से संपर्क किया और बड़ी तादात में ऊतक मिलने लगे. चुनौती सामने आई कि हर ऊतक से मोती तैयार नहीं किया जा सकता. ऐसे में उनका ऑपरेशन कर आसानी से डिजाइनर मोती तैयार किया जा सकता है. ऑपरेशन सफल हुआ और ऊतक डिजाइनर मोती देने लगे. इस पूरी प्रक्रिया को करने में करीब 1000 रुपए का खर्च आया.

ऐसे बनता है मोती

शुभम् ने जब एमएससी एंटोमोलॉजी की पढ़ाई की तो पता जला की कैल्शियम कार्बोनेट से मोती का क्रिस्टल तैयार होता है. वहीं ऊतक का ऊपरी हिस्सा भी (कवच) कैल्शियम कार्बोनेट का होता है. उसने आदिवासियों से मरे हुए ऊतक लिए. उसके ऊपरी हिस्से को अलग कर मिक्सर में पीसा. जब वह आटे की तरह तैयार हो गया तो उसकी गोली बना कर सांचों में एयरोटाइट से चिपका दिया. अब चुनौती आई की आखिर इसे जिंदा ऊतक के अंदर डाला कैसे जाए. इसके उसने लिए ऑपरेशन विधि का इस्तेमाल किया. ऊतक के मुंह को थोड़ा सा खोल कर उसके अंदर सांचे को डाल दिया और 9 महीने बाद मोती सांचे के अनुसार तैयार मिला.

सीप की सर्जरी

यह ऊतक सुरक्षा कवच में बंद रहता है. ऐसे में ऑपरेशन के बाद जब कवच के आटे से तैयार सांचा अंदर डाला गया तो ऊतर कवच की सुगंध आने के कारण उसे स्वीकार कर लेता है. वहीं जब सांचा अंदर जाता है तो ऊतर को उसके कठोर होने से परेशानी होने लगती है. ऊतक धीरे-धीरे उसे चिकना करने के लिए अपने शरीर का तत्व उसमें लगाने लगता है. करीब नौ महीने के बाद सांचे के ऊपर तत्व मोती के स्वरूप में बदल जाता है.

शुभम् का कहना है कि ऊतक से मोती घर पर तैयार करना है तो उसे जिस टंकी में रखें या इस तरह गड्ढे में रखे, वहां का पानी कभी न बदलें.

सीप की खेती पर एक नजर

सीप की खेती के लिए कुशल वैज्ञानिकों से प्रशिक्षण लें. सरकार द्वारा कई संस्थानों में ट्रेनिंग कराई जाती है.
सरकारी संस्‍थानों या मछुआरों से सीप खरीदकर काम शुरू करें. सीपों को खुले पानी में दो दिन के लिए रखते हैं.
सीप का कवच और मांसपेशियां ढीली हो जाती हैं. मांशपेशियां ढीली होने के बाद सर्जरी कर सीप के अंदर सांचा डाल दें.
यह सांचा जब सीप को चुभता है तो वह उस पर अपने अंदर से निकलने वाला पदार्थ छोड़ता है.
इस प्रयास में एक निश्चित समय बाद सांचा मोती की शक्ल में तैयार हो जाता है.
सांचे में कोई भी भगवान या अन्य आकृति डालकर उसकी डिजाइन का मोती तैयार कर सकते हैं.
डिजाइनदार मोती की मांग अधिक है और ज्यादा कीमत के बिकते हैं.

By kavita garg

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