अयोध्या में 22 जनवरी को श्रीरामलला की प्राण प्रतिष्ठा होनी है. नागर शैली में बने भव्य मंदिर में रामलला विराजेंगे. भगवान राम के मंदिर के लिए दशकों तक कानूनी लड़ाई चली. सिविल कोर्ट से लेकर हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक केस चला. उच्चतम न्यायालय में सैकड़ों गवाह पेश हुए, तमाम दस्तावेज साक्ष्य के तौर पर रखे गए और आखिरकार हिंदू पक्ष के हक में फैसला आया.
हिंदू पक्ष की तरफ से श्रीराम जन्मभूमि का केस लड़ने वाले मशहूर वकील के. परासरन को तो सभी जानते हैं. पर क्या आपको पता है कि एक नागा साधु ने बाकायदा कानून की पढ़ाई की फिर रामलला का मुकदमा लड़ा. अब वो साधू मथुरा की श्रीकृष्ण जन्म भूमि विवाद के मुख्य याचिकाकर्ता हैं. हम जिस नागा साधू की बात कर रहे हैं, उनका नाम है करुणेश शुक्ला.
कैसे आए थे अयोध्या?
मूल रूप से उत्तर प्रदेश के बस्ती के रहने वाले करुणेश शुक्ला की शुरुआती पढ़ाई-लिखाई सरस्वती शिशु मंदिर में हुई है. वह बताते हैं कि मेरे परिवार में शुरू से ही बहुत धार्मिक-आध्यात्मिक माहौल था. मेरी दादी जब कल्पवास के लिए जाती थीं, तो मैं उनके साथ जरूर जाता था. दादी अक्सर अयोध्या और बनारस भी जाया करती थीं. जब अयोध्या से लौटतीं तो उनके मन में कष्ट रहता कि भगवान टेंट में हैं. उनके लिए एक मंदिर तक नहीं है.
1990 के दशक में जब राम जन्मभूमि का आंदोलन निर्णायक लड़ाई की तरफ बढ़ रहा था, तब मेरी दादी और मां ने मुझे रामकाज के लिए हनुमानगढ़ी भेज दिया. वो चाहती थीं कि मैं अयोध्या में रहकर भगवान की सेवा करूं.
नागा साधु बनने की कहानी
आठवीं की पढ़ाई के बाद परिवार के आदेश पर करुणेश शुक्ला अयोध्या के हनुमानगढ़ी चले आए. यहां महंत हरिहर दास पहलवान के आश्रम में रहकर पहलवानी सीखी और शिक्षा-दीक्षा ली. यहीं रामचरितमानस, तमाम वेद-पुराण का अध्ययन किया और फिर नागा साधु बन गए. हालांकि साधु बनने के बाद भी उनका अध्ययन जारी रहा.
रामलला केस में रखा निर्वाणी अखाड़े का पक्ष
वह कहते हैं कि हनुमानगढ़ी आने के बाद मैंने श्रीराम जन्मभूमि के मर्म और इस लड़ाई को और गहराई से जाना. मेरे गुरु और परिवार वाले चाहते थे कि कोई अपना रामलला का केस लड़े और कोर्ट में पैरवी करे. इसके लिए उन्होंने मुझे चुना. मैंने साल 2011 में कानपुर से लॉ की पढ़ाई की. इसके बाद श्रीराम जन्मभूमि विवाद में श्री महंत धर्मदास निर्वाणी अखाड़ा की तरफ से रेस्पॉन्डेंट नंबर 14 बनकर कोर्ट में पेश हुआ.
मैं अब भी नागा साधु…
करुणेश शुक्ला कहते हैं कि मैंने सालों भगवान राम को जब टेंट में देखता था तो मेरी आंखों से आंसू निकल पड़ते थे. अब सदियों की लड़ाई के बाद भगवान अपने मंदिर में विराज रहे हैं. ऐसा लगता है जैसे मेरी कानून की पढ़ाई सार्थक हो गई हो. वह कहते हैं कि मैं भले ही काले कोट में दिखता हूं लेकिन अब भी नागा साधु ही हूं और इस नियम-परंपरा का पालन करता हूं.
अब श्रीकृष्ण जन्मभूमि की लड़ाई
सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में वकालत करने वाले करुणेश शुक्ला मथुरा की श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले में भी मुख्य याचिकाकर्ता हैं और कोर्ट में श्रीकृष्ण जन्मभूमि की लड़ाई लड़ रहे हैं. उन्होंने संविधान से ‘सेकुलर’ शब्द हटाने के लिए भी याचिका दायर कर रखी है.