कौन है देश का सबसे पावरफुल सरकारी अफसर? मिलती है दोगुनी सैलरी

सचिवालय का नाम सुनने में केंद्र सरकार के लगभग 80 अन्य विभागों को दिए गए नाम से कुछ अलग नहीं लगता है. इसका कार्यालय नई दिल्ली में रायसीना की पहाड़ियों पर स्थित साउथ ब्लाक में है. और यह प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) से महज 200 गज की दूरी पर है. लेकिन यह भी इसकी किसी विशिष्ट पहचान को नहीं बताता है. लेकिन कैबिनेट सचिवालय निश्चित रूप से सरकार के सबसे शक्तिशाली अंग के तौर पर काम करता है. कैबिनेट सचिव  भारत का सबसे ताकतवर नौकरशाह और प्रधानमंत्री का दायां हाथ होता है. वह प्रधानमंत्री को विभिन्न मुद्दों पर अपनी राय देते हैं.

राजीव गौबा हैं कैबिनेट सचिव

वर्तमान में राजीव गौबा कैबिनेट सचिव के पद पर काम कर रहे हैं. राजीव गौबा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सबसे भरोसेमंद लेफ्टिनेंट हैं. उनके ऊपर सरकार की बड़ी नीतियों और सामाजिक क्षेत्र के कार्यक्रमों को डिजाइन करने और लागू करने की जिम्मेदारी है. राजीव गौबा मौजूदा सरकार के लिए कितने अहम हैं यह इस बात से समझा जा सकता है कि अगस्त 2019 में पहली बार पद संभालने के बाद से उन्हें पहले ही दो बार सेवा विस्तार (अगस्त, 2023) मिल चुके हैं. उन्हें आम चुनाव से पहले इस पद को संभालने के लिए एक और सेवा विस्तार मिलने की उम्मीद है. राजीव गौबा झारखंड कैडर के 1982 बैच के आईएएस अधिकारी हैं.

वरिष्ठतम सिविल सेवक

कैबिनेट सचिव भारत सरकार का सर्वोच्च कार्यकारी अधिकारी और वरिष्ठतम सिविल सेवक है. कैबिनेट सचिव राजीव गौबा ने रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (R&AW) प्रमुख सांमत गोयल के साथ जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 को लागू कराने के साथ साथ संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. जिसके बाद राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांट दिया गया. अब इन दोनों प्रदेशों में चुनाव कराने की तैयारी चल रही है

कैसे बना यह पद

देश की आजादी से पहले वायसराय की कार्यकारी परिषद में एक सचिवालय हुआ करता था, जिसका नेतृत्व वायसराय का निजी सचिव करता था. पहले इस सचिवालय की भूमिका केवल कार्यकारी परिषद से संबंधित कार्रवाई की देखभाल करने के लिए थी, लेकिन जब परिषद के तहत अलग-अलग विभागों का काम बढ़ गया तो सचिवालय का काम और जटिल हो गया. निजी सचिव को सचिवालय का सचिव कहा जाने लगा. यह पद समय के साथ और अधिक शक्तिशाली हो गया और सचिवालय की मुख्य भूमिका विभागों के कार्यों का समन्वय करना बन गई. 1946 में सचिवालय कैबिनेट सचिवालय बन गया और सचिव कैबिनेट सचिव बन गया.

क्या है भूमिका

देश में बड़े संकट की स्थितियों का प्रबंधन करना और ऐसी स्थिति में विभिन्न मंत्रालयों की गतिविधियों का समन्वय करना भी कैबिनेट सचिवालय के कार्यों में से एक है. इसके अलावा कैबिनेट सचिवालय यह सुनिश्चित करता है कि राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और मंत्रियों को उनकी गतिविधियों के मासिक ब्रीफिंग की जरिये सभी विभागों की प्रमुख गतिविधियों के बारे में सूचित किया जाता रहे. कैबिनेट सचिवालय में तीन विंग शामिल हैं, नागरिक, सैन्य और खुफिया. उसकी सिविल विंग ही मुख्य है, जो केंद्रीय मंत्रिमंडल को सहायता, सलाह प्रदान करता है. रॉ के प्रमुख भी कैबिनेट सचिव को रिपोर्ट करते हैं.

वेतन और सुविधाएं

कैबिनेट सचिव का वेतन केंद्रीय मंत्री से लगभग दोगुना होता है. कैबिनेट सचिव का मूल वेतन 2,50000 रुपये है. इसके अलावा मंहगाई भत्ता, चिकित्सा भत्ता, यात्रा भत्ता और हाउस रेंट अलाउंस मिलाकर उन्हें पांच लाख, 60,000 रुपये वेतन के तौर पर मिलते हैं. जबकि केंद्रीय मंत्री की बात करें तो उन्हें हर महीने एक लाख रुपये मूल वेतन, इसके साथ 70,000 रुपये निर्वाचन क्षेत्र भत्ता, 60,000 रुपये कार्यालय भत्ता और 2000 रुपये सत्कार भत्ता मिलता है. ये कुल मिलाकर 2 लाख, 32,000 रुपये होते हैं. कैबिनेट सचिव का आधिकारिक आवास पृथ्वीराज रोड पर टाइप-8 बंगला है. कैबिनेट सचिव राजनयिक पासपोर्ट के लिए पात्र होते हैं.

By kavita garg

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