प्रतिदिन दरवाजे पर खटखटाता था बंदर,योगीराज ने बताई दिलचस्प कहानी

अयोध्या के राम मंदिर  में स्थापित की गई रामलला की मूर्ति बनाने वाले अरुण योगीराज ने अब एक चौंकाने वाला खुलासा किया है. ‘टाइम्स नाउ’ से एक इंटरव्यू में अरुण योगीराज ने कहा कि ‘जब वह रामलला की मूर्ति बनाने का काम कर रहे थे तो एक बंदर हर दिन उनका दरवाजा खटखटाता था.’ अरुण योगीराज ने कहा कि ‘शाम 4-5 बजे के आसपास एक बंदर हर दिन बहुत जोर से दरवाजा खटखटाता था. वह आता था, केवल देखता था और फिर वापस चला जाता था.’ मूर्तिकार अरुण योगीराज ने यह भी बताया कि राम मंदिर ट्रस्ट के सदस्यों को प्रेजेंटेशन देते समय जब उन्होंने मूर्ति से कपड़ा हटाया तो सभी लोग हाथ जोड़ने लगे.

रामलला की मूर्ति बनाने वाले अरुण योगीराज ने कहा कि राम मंदिर ट्रस्ट के सदस्यों के भाव देखकर उनको बहुत खुशी हुई. यह मेरे लिए एक यादगार दिन था. जब उनसे यह पूछा गया कि अयोध्या के राम मंदिर में रामलला की मूर्ति की स्थापना के बाद उन्होंने ऐसा क्यों कहा कि यह उनका काम नहीं था. इस पर योगीराज ने कहा कि ‘मैंने काम करते समय हर कोण से रामलला की मूर्ति की तस्वीरें लीं. हालांकि मूर्ति स्थापित होने के बाद गर्भगृह में चले जाने के बाद, मैंने वहां कुछ अन्य काम करते हुए लगभग 10-12 घंटे बिताए. फिर अचानक प्राण प्रतिष्ठा समारोह के बाद मुझे लगा कि यह मेरा काम नहीं था. यह पूरी तरह से अलग लग रहा था. मैं इसके लिए सिर्फ एक साधन हूं.’

अपना 100 प्रतिशत दिया

रामलला की मूर्ति बनाने वाले मूर्तिकार अरुण योगीराज ने कहा कि उन्होंने अपना 100 प्रतिशत दिया और पिछले 9 महीनों से अपने सभी विज्ञापन बंद कर दिए हैं. उन्होंने कहा कि मेरे लिए अपना 100 फीसदी देना बहुत महत्वपूर्ण था और इसीलिए मैंने पिछले 9 महीनों से अपने सभी विज्ञापन बंद कर दिए थे. मुझे इस बात की चिंता नहीं थी कि रामलला की इस मूर्ति को चुना जाएगा या नहीं. मेरे लिए मानसिक शांति बहुत जरूरी थी.

2008 में पारंपरिक पारिवारिक पेशे में शामिल हुए

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 22 जनवरी को अयोध्या के नए राम मंदिर में रामलला की मूर्ति के ‘प्राण प्रतिष्ठा’ समारोह को संपन्न किया था. जिस पत्थर जिसका उपयोग इस 51 इंच की मूर्ति को बनाने में किया गया था, वह कर्नाटक से लाया गया विशेष काला ग्रेनाइट पत्थर है. पांचवीं पीढ़ी के मूर्तिकार अरुण योगीराज ने इससे पहले एमबीए की डिग्री हासिल करने के बाद प्रबंधन के क्षेत्र में काम किया था. मगर 2008 में वह पारंपरिक पारिवारिक पेशे में शामिल हो गए.

By kavita garg

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