ऐसे समय में जब जापान के एयरपोर्ट पर आग का गोला बने एक प्लेन से सभी यात्रियों को सुरक्षित बचाए जाने की तारीफ हो रही है, बड़े-बुजुर्गों को सऊदी अरब का एक भयानक हादसा भी जरूर याद आ रहा होगा. उस समय अंतराष्ट्रीय मीडिया में जब खबर छपी तो सभी हैरान रह गए थे. रियाद में सुरक्षित तरीके से इमर्जेंसी लैंडिंग होने के बाद भी धुआं भरने से 301 लोगों की जान चली गई थी. बाद में पता चला कि पायलट लोगों को निकालने का आदेश ही नहीं दे सका था. जी हां, पैसेंजरों को बाहर निकालने के लिए केबिन क्रू को पायलट से सिग्नल मिलना जरूरी था. एक ऐसा हादसा जो केस स्टडी बन गया. कई वीडियो और डॉक्यूमेंट्री बनी जिसमें बताया गया कि कैसे नौसिखियों या कहें कि लापरवाह पायलट और को-पायलट के हाथ में वो प्लेन था और 300 से ज्यादा लोगों की अपनी जान गंवानी पड़ी थी.

पायलट थे काफी स्लो

वो तारीख थी 19 अगस्त 1980. ‘फ्लाइट चैनल’ ने वीडियो डॉक्यूमेंट्री में समझाया है कि कैसे वह हादसा हुआ था. सऊदी फ्लाइट 163 रियाद से जेद्दा के लिए जा रही थी. इसमें 287 यात्री और 14 क्रू मेंबर्स सवार थे. लॉकहीड ट्राईस्टार L-1011-200 प्लेन रियाद से उड़ चला. अब प्लेन 38 साल के कैप्टन M.A.K. के हाथों में था. रिकॉर्ड से पता चलता है कि वह काफी स्लो थे. उन्हें सामान्य शख्स से कहीं ज्यादा समय किसी चीज को समझने में लगता था. उन्हें काफी ट्रेनिंग की जरूरत थी. को-पायलट 26 साल के S.A.M.H. थे. उनके खराब प्रदर्शन के कारण एक बार उन्हें फ्लाइंग स्कूल से निकाल भी दिया गया था. 42 साल के फ्लाइट इंजीनियर बी.सी. भी पास में बैठे थे. वह एयरक्राफ्ट पायलट और को-पायलट के तौर पर फेल साबित हो गए थे. नौकरी बचाए रखने के लिए उन्होंने पैसा देकर अपनी ट्रेनिंग पूरी की थी. इस तरह से देखिए तो पूरे फ्लाइट क्रू के पास आत्मविश्वास की कमी थी.

7 मिनट बाद ही हड़कंप

फ्लाइट के सात मिनट आसमान में उड़ते रहने के बाद क्रू को चेतावनी मिली. प्लेन करीब 35 हजार फीट की ऊंचाई पर जा रहा था. फ्लाइट इंजीनियर ने संदेश दिया तो कैप्टन ने पूछा- क्या? फर्स्ट ऑफिसर ने कहा- चल क्या रहा है? फ्लाइट इंजीनियर ने सामान्य भाषा में बताया कि धुआं दिखा है. क्रू को कार्गो कंपार्टमेंट से धुएं की जानकारी मिली थी. एयरक्राफ्ट के टेल के पास ए और बी दो स्मोक डिटेक्टर लगे थे, जहां से सिग्नल मिला था. कैप्टन को कम शब्दों में बात समझ ही नहीं आ रही थी. वह पूछते हैं कि तो हमें लौटना चाहिए, है न? फ्लाइट इंजीनियर के काफी बताने के बाद कैप्टन ने कहा- अच्छा, मतलब स्मोक दिखाई दिया है?

फ्लाइट इंजीनियर ने हां में जवाब दिया तो कैप्टन ने कहा कि चेकलिस्ट देखिए, इस केस में प्रोसीजर क्या है? फ्लाइट इंजीनियर ने फौरन देखना शुरू किया. पायलट इंतजार करने लगे. लेकिन फ्लाइट इंजीनियर के साथ डिसलेक्सिया की समस्या थी. हां, उन्हें शब्द को ठीक से न पहचानने या कहें वर्ड ब्लाइंडनेस की बीमारी थी. वह आसानी से मैनुअल पढ़ भी नहीं पा रहे थे. दोनों स्मोक डिटेक्टर अचानक बंद हो गए. फ्लाइट इंजीनियर और कैप्टन ने कुछ सेंकेड इसे सच मानने में गंवा दिए.

मैं पीछे जाकर सूंघूं क्या?

फ्लाइट क्रू को समझ में नहीं आ रहा था कि वॉर्निंग पर अब क्या किया जाए. कैप्टन ने कहा कि क्या ऐसे में कोई अलग प्रोसीजर नहीं है? फ्लाइट इंजीनियर ने कहा कि हां, कुछ नहीं है. उन्होंने आगे पूछा कि क्या मैं पीछे जाकर देखूं शायद कुछ मिले या कुछ सूंघने से पता चले? अगले चार मिनट ऐसे ही चले गए. फ्लाइट इंजीनयर पीछे गए और वापस आकर कैप्टन को बताया. केबिन के पीछे काफी धुआं भरने लगा. कैप्टन ने कहा कि अच्छा होगा हम वापस रियाद चलें. फर्स्ट ऑफिसर ने एटीसी को बताया कि हम वापस रियाद लौट रहे हैं.

एक फ्लाइट अटेंडेंट अचानक फ्लाइट डेक में आई और चिल्लाई- आग लग गई, आग केबिन में… फर्स्ट ऑफिसर ने एटीसी को बताया कि केबिन में आग लग गई है, प्लीज ट्रकों को अलर्ट कर दीजिए. आग फैलने लगी. फ्लाइट अटेंडेंट ने कहा- सभी लोग सीट पर बैठे रहिए. फ्लाइट अटेंडेंट्स ने आग बुझाने की कोशिश की लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. एयरपोर्ट के करीब आने पर कैप्टन ने पूछा कि एयरपोर्ट कहां है. फर्स्ट ऑफिसर ने कहा कि यही है, पीली पट्टी देखिए. केबिन क्रू को अब तक कोई आदेश नहीं मिला था कि वे लोगों को इमर्जेंसी में बाहर निकालने की तैयारी करें या नहीं.

गलती पर गलती करता रहा पायलट

फ्लाइट अटेंडेंट ने पूछा भी कि क्या हम लोगों को निकालेंगे? कैप्टन ने कहा- क्या? फ्लाइट अटेंडेट को दो बार कहना पड़ा. क्या हम सभी को निकालेंगे? फ्लाइट इंजीनियर ने कहा कि जब हम जमीन पर होंगे तब. कैप्टन ने कहा उनसे बाहर न निकालने को कहिए. फ्लाइट इंजीनियर ने कहा कि इसकी जरूरत नहीं है. हम ठीक हैं. नो प्रॉब्लम. पायलट को लग रहा था कि आग तो एयरक्राफ्ट के पीछे लगी है, यह गंभीर नहीं है. प्लेन सुरक्षित तरीके से रियाद में उतर गया. ऐसी स्थिति में पायलट को प्लेन को जल्दी से रोककर सभी को बाहर निकालने की कोशिश करनी चाहिए थी. लेकिन पता नहीं क्यों, कैप्टन ने प्लेन को रोका ही नहीं. प्लेन धीरे-धीरे रनवे पर चलता रहा. उसके बाद वह टैक्सीवे पर गया और लैंडिंग के बाद 2.40 मिनट बीत गए. इंजन चल रहे थे इसलिए फायर क्रू ने तुरंत दरवाजे नहीं खोले. प्लेन के रुकने के 3 मिनट 15 सेकेंड के बाद पायलट ने इंजन बंद किया.

उस समय तक बाहर आग नहीं दिख रही थी लेकिन एयरक्राफ्ट के पीछे आग की लपटें देखी गईं. इंजन बंद होने के 23 मिनट बाद दाहिनी तरफ का दूसरा दरवाजा ग्राउंड स्टाफ ने खोला. 3 मिनट बाद प्लेन में भयानक आग लग गई. सभी की जान चली गई. आग के कारण नहीं बल्कि धुएं के कारण सबका दम घुट चुका था. इसका मतलब यह था कि वे दरवाजा खोलने से काफी पहले मर चुके थे.

By kavita garg

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