किडनी फेल होने पर शरीर देने लगता है ये संकेत, जानें सब कुछ

में बने अतिरिक्त सोडियम, फॉस्फोरस, पानी, नमक, पोटैशियम आदि चीजों को पेशाब के रास्ते बाहर निकाल देती है. किडनी से खून 24 घंटे में करीब 40 बार होकर गुजरता है. हार्ट से निकले खून का 20 प्रतिशत हिस्सा किडनी में पहुंचता है. किडनी सोडियम, कैल्शियम, मिनिरल्स, पानी, फॉस्टोफोरस, पोटैशियम, हीमोग्लोबिन आदि को बैलेंस करती है.

इस तरह समझा जा सकता है कि जब किडनी पर संकट आता है तो शरीर पर इसका क्या असर होता है. आजकल जिस तरह से हमारा लाइफस्टाइल और खान-पान खराब हो गया है उसमें किडनी पर लगातार संकट बढ़ता जा रहा है. अगर शुरुआत में किडनी खराब के संकेतों को नजरअंदाज किया जाता है तो इससे किडनी फेल्योर का खतरा बढ़ जाता है.

क्या होता है किडनी फेल्योर

क्लीवलैंड क्लिनिक के मुताबिक जब एक या दोनों किडनी अपने बलबूते काम करने में असमर्थ हो जाए तो उसे किडनी फेल्योर कहते हैं. किडनी फेल्योर कभी-कभी बहुत कम समय के लिए होता है लेकिन बहुत जल्दी और अचानक हो जाता है. जब यह क्रोनिक हो जाए तो यह बहुत ही असाध्य होने लगता है. अगर किडनी फेल्योर खतरनाक स्टेज में पहुंट जाए तो यह जानलेवा भी साबित हो सकता है. अगर किसी का किडनी फेल्योर हो जाए तो कुछ दिन या कुछ सप्ताह तक जीवित रह सकता है.

किडनी फेल्योर के वार्निंग साइन

किडनी फेल्योर होने से पहले शरीर में कुछ शुरुआती संकेत दिखते हैं. अगर मरीज सतर्क हो तो इन संकेतों को पहचान कर वह डॉक्टर के पास समय से पहले पहुंच सकता है. किडनी फेल्योर होने पर- बहुत अधिक थकान होती है.

जी मितलाने लगता है और उल्टी भी होती है.
ध्यान केंद्रित करना मुश्किल होता है.
पैरों में सूजन या एडिमा होने लगता है. चेहरे पर भी यह हो सकता है.
बार-बार पेशाब होता है.
मसल्स में क्रैंप आने लगता है.
स्किन में खुजली और ड्राइनेस बढ़ जाती है.
भूख नहीं लगना है और खाने का स्वाद मेटेलिक हो जाना.

इन लोगों को है ज्यादा खतरा

यदि आप डायबेटिक हैं.
अगर आपको हाई ब्लड प्रेशर है.
अगर आपको हार्ट डिजीज है.
अगर आपके परिवार में किसी को किडनी की बीमारी है.
किडनी का आकार असमान्य है.
अगर आप ब्लैक, हिस्पैनिक आदि हैं.
अगर आपकी उम्र 60 साल से ज्यादा है.
लंबे समय से पेन किलर दवा ले रहे हैं.

किडनी फेल्योर का इलाज

किडनी फेल्योर का इलाज इस बात पर निर्भर है कि इसका क्या कारण है और समस्या कहां तक बढ़ी है और किस स्टेज में है. अगर यह बहुत असाध्य हो गया है तो इसका इलाज डायलिसिस ही है. इसके अलावा कुछ दवाइयां दी जाती है. इसके लिए डॉक्टर तय करेंगे कि किस तरह से इलाज किया जाए.

 

 

By kavita garg

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