क्या कारण है कि प्‍लेन की तुलना में, हेलीकॉप्टर दुर्घटनाएं ज्यादा होती हैं?

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क्या कारण है कि प्‍लेन की तुलना में हेलीकॉप्टर दुर्घटनाएं ज्यादा होती हैं?

अफगान‍िस्‍तान में मोरक्‍को के एक चार्टर्ड प्‍लेन क्रैश होने की खबर सामने आई और पूरी दुनिया में हंगामा मच गया. बाहर की कुछ मीडिया ने दावा किया क‍ि ये भारत से उड़ा विमान था, जो बदखशां प्रांत में दुर्घटनाग्रस्‍त हो गया. विमान के भारतीय लोगों के होने का भी दावा किया गया. हालांकि, कुछ देर बाद भारत ने साफ कर दिया क‍ि ये विमान हमारा नहीं है. लेकिन कभी सोचा क‍ि प्‍लेन की तुलना में चार्टर्ड प्‍लेन या हेलीकॉप्‍टर हादसे का श‍िकार ज्‍यादा क्‍यों होते हैं? एक एव‍िएशन एक्‍सपर्ट ने इसके बारे में बताया.

व‍िमानन क्षेत्र में काम कर चुकीं रेबेका विलियम्स ने इसके कारण ग‍िनाए हैं. उन्‍होंने कहा, हेलीकॉप्टर विमानों की तुलना में कम ऊंचाई और गति पर उड़ते हैं. इसकी वजह से उन्हें बिजली लाइनों, इमारतों, पेड़ों और पक्षियों जैसी बाधाओं का सामना करना पड़ता है. वैसे तो हेलीकॉप्टरों में त्रुटि की संभावना कम होती है, लेकिन खतरा इतना ज्‍यादा है क‍ि वे अक्‍सर हादसाग्रस्‍त हो जाते हैं. इसके अलावा हेलीकॉप्टरों में विमानों की तुलना में अधिक जटिल और नाजुक मशीनरी होती है. इनके लिए अधिक रखरखाव और निरीक्षण की आवश्यकता होती है. कई पर इसकी सही न‍िगरानी न होने की वजह से दिक्‍कत आ जाती है.

नियंत्रित करना विमानों की तुलना में कठिन

रेबेका विलियम्स ने बताया क‍ि हेलीकॉप्टरों में एक मुख्य रोटर, एक टेल रोटर, एक ट्रांसमिशन और एक इंजन होता है. ये सभी उड़ान और नियंत्रण के लिए आवश्यक हैं. इनमें से कोई भी खराब हुआ तो हादसा होना तय है. इसके अलावा हेलीकॉप्टरों को उड़ाना और उन्‍हें नियंत्रित करना विमानों की तुलना में कठिन होता है. खासकर जब स्‍पीड काफी कम रखनी हो. हेलीकॉप्टर के पायलट को हर वक्‍त सटीक इनपुट की जरूरत होती है, जबक‍ि विमानों में आटो पायलट मोड में हो तो पायलट को सोचना ही नहीं.

हेलीकॉप्टर काफी कम ऊंचाई पर होते

हेलीकॉप्टर काफी कम ऊंचाई पर होते हैं, तो कई बार हवा की गत‍ि उन्‍हें परेशान करती है. इसके अलावा हेलीकॉप्टरों का उपयोग विमानों की तुलना में अधिक जोखिम भरे कार्यों के लिए किया जाता है. जैसे खोज और बचाव काम हो. पहाडी या खाई वाले इलाके से क‍िसी को न‍िकालकर बाहर ले जाना हो, आग के बीच से न‍िकलना हो और सैन्‍य मिशन से न‍िपटना हो, हेलीकॉप्‍टर ही लगाए जाते हैं. इन पर मौसम का प्रत‍िकूल असर, कम दृश्‍यता से दिक्‍कतें और ज्‍यादा होती हैं.

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