उल्टा सैल्यूट किया तो पकड़ा गया IPS, जानिए आर्मी, पुलिस, एयरफोर्स, नेवी के सैल्यूट का क्या तरीका है?

एक फर्जी आईपीएस की कहानी सोशल मीडिया पर काफी वायरल है. दरअसल, उदयपुर पुलिस ने 24 जनवरी की रात को एक फर्जी आईपीएस को गिरफ्तार किया था. ये शख्स उदयपुर सर्किट हाउस में सीबीआई का फर्जी असिस्टेंट कमिश्नर बनकर ठहरा हुआ था. आरोपी सुनील कुमार के पकड़े जाने की वजह थी उसका सैल्यूट. शख्स ने दूसरे एसपी भुवन भूषण यादव को उल्टे हाथ से सैल्यूट किया और वो पकड़ा गया. फिर पता चला कि इस नाम का कोई भी अफसर नहीं है. आपको बता दें कि पुलिस, सेना में सैल्यूट का अलग अलग तरीका है और सैल्यूट सीधे हाथ से ही किया जाता है.

ऐसे में आज हम आपको बताते हैं कि थल सेना, जल सेना, वायु सेना और पुलिस के सैल्यूट में क्या फर्क होता है और जब सैल्यूट किया जाता है तो हाथ को कैसे रखना होता है. यहां तक कि आप सैल्यूट को देखकर भी समझ सकते हैं कि वो व्यक्ति किस फोर्स से जुड़ा है.

थल सेना में कैसे होता है सैल्यूट?

सेना के जवान जब सैल्यूट करते हैं उनकी हथेली पूरी खुली होती है और पूरी हथेली दिखती भी रहती है. इस सैल्यूट में उंगलियां बिल्कुल सीधी होती है और आईब्रो से हैट के बैंड को छूती हैं. जो आप तस्वीर में भी देख सकते हैं. इसमें पूरी हथेली साफ दिखती है और हथेली हल्की भी झुकी ना होकर फ्लैट रहती है.

एयरफोर्स में कैसे होता है सैल्यूट?

एयरफोर्स में पहले आर्मी की तरह ही सैल्यूट होता था, लेकिन 2006 में इसमें बदलाव कर दिया गया. एयरफोर्स के सैल्यूट में हथेली हल्की यानी 45 डिग्री तक झुकी होती है और हथेली का अगला हिस्सा विमान की तरह ऊपर की तरफ उठा रहता है. इसमें पूरी हथेली दिखाई नहीं देती और इसमें हल्का झुकाव रहता है. अंगुलियां ऊपर की ओर और कलाई हल्की नीचे होती है.

नेवी में कैसे होता है सैल्यूट?

अगर नेवी की सैल्यूट की बात करें तो ये एयरफोर्स और आर्मी से अलग होता है. उनके हाथ 90 डिग्री एंगल में जमीन की तरफ झुके रहते हैं. वो अपनी हथेली सामने वाले इंसान को नहीं दिखाते. इसमें हथेली पूरी तरह से जमीन की तरफ झुकी होती है और नेवी के जवानों की आप हथेली नहीं देख सकते.

पुलिस का सैल्यूट कैसे होता है?

पुलिस में भी सैल्यूट का तरीका सेना की तरह ही होता है. इसके अलावा सैल्यूट के कई नियम होते हैं, जिसमें सिर पर टोपी होने को लेकर कई नियम हैं, अगर मेस में हैं तो अलग नियम हैं. वहीं, गाड़ी चलाते और घुड़सवारी के वक्त अलग नियम है.

By kavita garg

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