चित्रकूट का पाठा क्षेत्र ज्यादातर किसान धान और गेहूं की फसल पर ही निर्भर रहते हैं. हालांकि, बीते कुछ सालों से किसानों ने अलग-अलग फसलों की खेती की शुरुआत कर दी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘आत्मनिर्भर भारत’ बनाने के संकल्प के साथ चित्रकूट के किसान खुद को ‘आत्मनिर्भर’ बनाने में जुट गए हैं. वे अनाज की खेती के इतर फूलों की खेती से आय दोगुनी कर आत्मनिर्भर बन रहे हैं.
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हम बात कर रहे हैं चित्रकूट जिले के डुडौली की. जहां के किसान अब आत्मनिर्भर बनते हुए अपनी जमीन में गुलाब के फूलों की बागवानी कर रहे हैं. उन्होंने इस बागवानी की शुरुआत आज से 4 से 5 साल पहले शुरू की थी. और अपने खेतों में गुलाब के फूलों की बागवानी कर उनको बाजारों में बेचकर अच्छा खासा मुनाफा भी कमा रहे हैं. उन्होंने तीन से चार बीघा जमीन में गुलाब के पौधे लगाए हुए है.
गुलाब की बागवानी
विनोद कुशवाहा ने बताया कि वह पाच वर्षों से गुलाब की खेती चार बीघे में कर रहे है. उन्होंने आगे की जानकारी देते हुए बताया कि यह प्रेरणा उनको उद्यान विभाग से मिली. वहां एक कार्यक्रम के दौरान उनको यह पुष्प की खेती के बारे में बताया गया. उसके बाद वह उद्यान विभाग से ही पुष्प के पौधे लाकर अपनी जमीन पर पुष्प की बागवानी करने लगे.
15 दिन में देना होता है पानी
उन्होंने आगे की जानकारी देते हुए बताया छह महीने में पौधा तैयार होकर पुष्प देने लगता है.ठंड के मौसम में 15 दिन में पानी दिया जाता है.वही ज्यादा गर्मी के मौसम में दो से तीन दिन में इसमें पानी दिया जाता है. हमने अपने खेत में लगभग 8 से 10 प्रकार के गुलाबों को लगाया है. हमारे पुष्प चित्रकूट के मठ मंदिरों के साथ साथ अन्य जिलों में भी जाते है.
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