अयोध्या में भगवान श्रीराम के मंदिर को लेकर खूब तैयारियां की जा रही हैं. 22 जनवरी को श्रीराम लला की प्राण प्रतिष्ठा होने वाली है. पूरा भारत इसी रंग में रमा नजर आ रहा है. भगवान राम हमारे आदर्श हैं, उनसे हम प्रेरणा लेते हैं. लेकिन क्या आपको पता है कि दुनिया में एक मुल्क ऐसा भी है जहां अपराधियों की पूजा होती है. गैंगस्टरों को देवता के तौर पर देखा जाता है. लोग मंदिरों में उनकी तस्वीर लगाकर रखते हैं. भगवान की तरह चढ़ावा चढ़ाते हैं. उनकी महिमा गाकर सुनाते हैं. उनके कीर्तन होते हैें. पूजा की कहानी भी बेहद दिलचस्प है.
कहानी है लैटिन अमरीकी देश वेनेजुएला (Venezuela) की. द सन की रिपोर्ट के मुताबिक, एक वक्त वेनेजुएला में भारी अराजकता थी. तब ह्यूगो शावेज के उत्तराधिकारी निकोलस मादुरो का राज था. जुर्म का बोलबाला था. चारों ओर हत्या, चोरी-डकैती जैसी वारदातें होती थीं. लेकिन इनमें एक खास बात थी, चोरी करने वाले, लूटमार करने वाले लोग गरीबों को परेशान नहीं करते थे. उन्होंने किसी गरीब की हत्या नहीं की. अमीरों को लूटकर दौलत को गरीबों में बांट दिया करते थे. अमीरों का पैसा गरीबों पर खूब लुटाया. यहीं से उनके प्रति लोगों में प्यार पैदा हुआ. अपराधियों की छवि जनता के बीच रॉबिनहुड वाली बन गई. उन्होंने इन्हें ही अपना रक्षक मान लिया.
इस वजह से होती पूजा
तब से इन अपराधियों को देवता की तरह पूजा जाने लगा. बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, स्पेनिश जुबान में इन देवताओं को सैंटोस मैलेंड्रोस कहा जाता है. तकरीबन हर घर में बुत बनाकर इनकी पूजा की जाती है. रंग-बिरंगी टोपी, चमकीले पतलून पहने इन लोगों के मुंह में सिगरेट लटकती नजर आती है. तस्वीर में भी आप इसे देख सकते हैं. स्थानीय लोगों को लगता है कि जब कोई आफत आएगी तो ये लोग रक्षा करने आएंगे. जो लोग इनके मंदिरों में जाते हैं, उनसे एक विचित्र अनुष्ठान कराया जाता है. कहा जाता है कि इनके मुंह में सिगरेट जलाएं. अपनी टीशर्ट उतारें और चाकू लेकर चिल्लाएं. स्थानीय लोगों को भरोसा है कि हर आफत में वे मदद के लिए जरूर आएंगे.
एक देवता का नाम लुई सांचेज
एक देवता का नाम लुई सांचेज है, जो बहुत ताकतवर अपराधी था. कहा जाता है कि उसने अमीरों का धन लूटने के लिए कई कत्ल किए. अपने पास एक पैसा भी नहीं रखा और सारा गरीबों में बांट दिया. ज्यादातर घरों में उसका बुत बनाकर पूजा की जाती है. इन देवताओं को शराब चढ़ाई जाती है. स्थानीय लोग मानते हैं कि चढ़ावे से खुश होकर ये लोग उन्हें वरदान देते हैं, जिससे उनके सारे काम बन जाते हैं; कहा तो यहां तक जाता है कि ज्यादा शराब नहीं चढ़ानी चाहिए, क्योंकि ये काम छोड़कर शराब पीने में मशगूल हो जाएंगे और फिर समाज में आफत आ जाएगी. इन देवताओं के मूर्तियों की डिमांड इतनी ज्यादा होती है कि कलाकार बना नहीं पाते.
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