जिंदा रहते शख्स ने करा दी अपनी तेरहवीं, कार्ड बांटकर 800 लोगों को कराया था मृत्यु भोज

हिंदू धर्म के अनुसार मरने के बाद तेरहवीं के भोज के बारे में आपने भी सुना होगा लेकिन यूपी के एटा जिले में एक शख्स ने जिंदा रहते ही अपनी मृत्यु का भोज कर दिया. पूरा मामला क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है. आखिर जीवित व्यक्ति ने मरने से पहले ही क्यों अपनी तेरहवीं कराई आईये इस रहस्य से पर्दा हटाते हैं.

तेरहवीं के कार्ड छपवाकर दिया मृत्यु भोज

एटा ज़िले के कस्बा सकीट के मोहल्ला मुंशी नगर के रहने वाले 55 वर्षीय व्यक्ति हाकिम सिंह पुत्र बांकेलाल ने अपने जिंदा रहते ही अपनी तेरहवीं करा डाली. बकायदा हाकिम सिंह ने तेरहवीं के कार्ड छपवाए जिस पर उन्होंने लिखवाया “जिंदा पर मृत्यु भोज”. उन्होंने अपने कार्ड में यह भी लिखवाया कि कराया कि ”मैं अपने जीवित रहते अपना मृत्यु भोज कर रहा हूं बाद में मेरा मृत्यु भोज किसी ने कराया या नहीं मुझे विश्वास नहीं है, मेरे जीवन काल में ही मेरे मृत्यु भोज में आप सादर आमंत्रित हैं”

दावत में सैकड़ों की संख्या में पहुंचे लोग

उनका यह भी कहना था कि जिन लोगों का मैं जीवित रहते खाया हूं, जीवित रहते मैं खिलाकर उनका कर्ज उतार दूं. जिसका खाया है उसे खिला दूं. वहीं इस तेरहवीं की दावत खाने भी सैकड़ों की संख्या में लोग पहुंचे. जीते जी अपनी तेरहवीं संस्कार करने की घटना जिले भर में चर्चा का विषय बनी हुई है.

शख्स ने बताई जिंदा रहते मृत्यु भोज देने की वजह

जब इस बारे में हाकिम सिंह से बात की गई तो उन्होंने बताया कि वह अपने परिजनों से परेशान हैं. उनके भाई-भतीजे ने उनकी जमीन पर जबरन कब्जा कर लिया है और उन्हें घर से निकाल दिया है. चूंकि उनकी शादी भी नहीं हुई है तो वह घर से निकाल दिए जाने के बाद साधु बन गए. उन्होंने गेरुआ वस्त्र धारण कर लिया. हाकिम सिंह ने बताया कि वह तीन भाई थे जिनमें से एक भाई की मृत्यु हो गई है.दूसरे भाई ने मेरी मौत के बाद मेरी तेरहवीं की या नहीं की. इसलिए मैंने अपना मृत्यु भोज अपने जीवित रहते ही कर दिया है.

By kavita garg

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